लौंडापा क्या है?

Saturday, 18 July 2020

लौंडापा शाश्वत है..अप्रमेय है..तत्व है..भाव है..स्पर्श है..स्पंदन है..आलौकिक है..थियेटर है..चरित्र है..लिबास है..रोटी दाल के बाद का सूखा मेवा सरीखा गरिष्ठ है..सेंधा निम्मक चाटने के बाद ट्टट्टट्टट्टट्टट्ट सा निर्भीक सा उन्माद है(उन्माद ज्यादा बोल दिए त क्या उखाड़ लोगे बे)..गांधीजी के कुटीरउद्योग के मालिक सा आलस है..कुत्ते की सांकल सा झल्लाहट है..वसीयतनामा पढनेवाले वकील सा निर्मम उन्माद है..प्रोपराइटरशिप वाला स्टाम्प है..अल्कोहलिक चरक,सुश्रुत..चिकित्सा मार्तंड का अघोषित श्लोक है..बकैती का पर्पटी है..गंधक सा मनमोहक अनिर्वचनीय है..अनिर्वाच्य है..यज्ञोपवीत जनेऊ सा संस्कार है..(और लिखें का बे..फुल मूड में हैं..समझ लो तो बेहतर नहीं तो गाली-गलौज से ज्यादा है ही नहीं लौंडापा..) लौंडापा का डिग्री लेवल अलग अलग होता है..सीनियर लौंडा..सेंटीयाने के बाद राम तेरी गंगा मैली वाले मन्दाकिनी को ताड़ता है..उसके जूनियर वाला माधुरी के एक दो तीन वाले भाव से सम्मोहित होता है..उसके ठीक नीचेवाला लौंडा चोली के पीछे वाले माधुरी के बेलीडांस से भावविभोर होता है..गबरू जवान लौंडा गोविंदा के सरकाय लियो या अंगना में बाबा दुआरे पे माँ वाले डांस से भावविभोर होता है और उसके बाद के लौंडापे वाले डिग्री का मान्यता फर्जी है..मने,लौंडापा उसके बाद उभरा ही नहीं..टेबलफैन को ऊँगली से घुमाने के बाद पंखा घुमे,उसका मनता दूधभात है.. (बेसी लौंडापे के फेज के मानवतावाद का झंडा मत उठाओ..पुलिस को जानते हो..क़त्ल हुआ तो किसी न किसी को फँसना है ही..हमरी मर्जी हम किस को फंसाए..उ खेला देखे हो..गोल गोल घुमने के बाद पीठ पीछे रुमाल रखकर भागते हैं..जिसके पिच्छे रुमाल रखे,ससुर के उसी को पता नही और हम घूम के उसी के पीठ पे दे धौल दे धौल...लौंडापा वही निर्मम सा पुचकार है..) नोट:अभिये कहे दे रहे हैं..निर्मम को निर्मम ही समझो.निर्मल तो लौंडापा है रे..हमको आई लव यू टू कहना है..वही कहे दे रहे हैं.. डबल नोट:कोनो स्त्रीलिंग पुल्लिंग वाला पोस्ट नहीं है..लौंडापा जेंडर (मने लिंग से परे होता है ;) से अभयक्षेत्र होता है

Sanchit Kukshrestha

Author & Editor

I’m a Basset Hound aficionado with a mouth like a Syphilitic sailor.

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